इसके एक बार पाठ करने से आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य, धैर्य, शौर्य, बल, यश, बुद्धि, कांति, सौभाग्य, रूप-सौंदर्य, संसार को वशीकरण करने की शक्ति, शास्त्रार्थ में निपुणता, उच्च कोटि की वाक शक्ति, शील, वीर्य, धन-धान्य की वृद्धि आदि प्राप्त होते हैं।
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए भक्त सिंदूर, दूर्वा, सुपारी, हल्दी और मोदक चढ़ाते हैं। सिंदूर मंगल का प्रतीक है, जबकि तुलसी को प्राचीन ग्रंथों में पाई जाने वाली एक अनोखी कहानी के कारण नहीं चढ़ाया जाता है। प्रत्येक अर्पण के पीछे की परंपराओं और प्रतीकात्मकता और तुलसी और गणपति की दिलचस्प कहानी को जानें।