पितृ-सूक्तम् शुभ फल देनेवाला चमत्कारी पाठ -उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः। असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥1॥ अंगिरसो नः पितरो नवग्वा अथर्वनो भृगवः सोम्यासः। तेषां वयम् सुमतो यज्ञियानाम् अपि भद्रे सौमनसे स्याम्॥2॥
माना जाता है कि श्री जम्बू स्वामी ने मथुरा में 84 वर्ष की आयु में मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त किया था। जम्बू का उत्तराधिकारी प्रभाव (443-338 ईसा पूर्व) हुआ, जिसे उसने डाकू से परिवर्तित कर दिया था।जम्बू स्वामी चतुर्थ काल के अंतिम केवली हुए जो महावीर के गणधर सुधर्माचार्य के शिष्य थे ।