Current Location
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।
॥रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः॥
यह भजन श्री लक्ष्मणचार्य द्वारा लिखा गया था, यह भजन श्री नम: रामायणम् का एक अंश है, भगवान राम को समर्पित यह भजन रघुपति राघव राजाराम। यह भजन भगवान राम की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों के दिलों में शांति और भक्ति का संचार करता है।