Krishna Janmashtami - कृष्ण जन्माष्टमी - कृष्ण जन्मोत्सव

Krishna Janmashtami Story - Krishna Janmotsav Janmashtami is celebrated as the birthday of Lord Krishna, the eighth son of Vasudeva-Devaki. Krishna ji is an incarnation of Lord Vishnu.

Krishna Janmashtami

कृष्ण जन्माष्टमी - कृष्ण जन्मोत्सव

ॐ नमो नारायणाय

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जन्माष्टमी वसुदेव-देवकी के आठवें पुत्र भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। कृष्ण जी भगवान विष्णु जी के अवतार हैं, जो तीन लोक के तीन गुणों सतगुण, रजगुण तथा तमोगुण में से सतगुण विभाग के प्रभारी हैं। भगवान का अवतार होने की वजह से कृष्ण जी में जन्म से ही सिद्धियां मौजूद थीं। उनके माता पिता वसुदेव और देवकी जी के विवाह के समय मामा कंस जब अपनी बहन देवकी को ससुराल पहुँचाने जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई थी जिसमें बताया गया था कि देवकी का आठवां पुत्र कंस को मारेगा। अर्थात् यह होना पहले से ही निश्चित था अतः वसुदेव और देवकी को जेल में रखने के बावजूद कंस कृष्ण जी को नहीं मार पाया।

मथुरा की जेल में उनके जन्म के तुरंत बाद, उनके पिता वासुदेव बच्चे कृष्ण को यमुना के पार ले जाते हैं, ताकि माता-पिता का नाम नंदा और यशोदा गोकुल में रखा जा सके। जन्माष्टमी का त्योहार लोगों द्वारा उपवास रखकर, कृष्ण प्रेम के भक्ति गीत गाकर और रात में जागकर मनाया जाता है।

कृष्ण जन्मोत्सव कब है? (Janmashtami kab hai?)

जन्माष्टी का त्योहार 6 September 2023 को बुधवार से शुरू हो जाएगा

हालांकि श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार व्रत-उपवास तथा जागरण को शास्त्र विरुद्ध साधना कहा है।

अध्याय 6 का श्लोक 16

(भगवान उवाच)
न, अति, अश्नतः, तु, योगः,
अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः न, च,
अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः,
न, एव, च, अर्जुन।
- हे अर्जुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिलकुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है |
मध्यरात्रि के जन्म के बाद, शिशु कृष्ण की मूर्तियों को धोया और पहनाया जाता है, फिर एक पालने में रखा जाता है। इसके बाद भक्त भोजन और मिठाई बांटकर अपना व्रत खोलते हैं। महिलाएं अपने घरों के दरवाजों और रसोई के बाहर छोटे-छोटे पैरों के निशान बनाती हैं, जिन्हें अपने घरों की ओर चलते हुए अपने घरों में कृष्ण के आगमन का प्रतीक माना जाता है।

कैसे मनाते हैं जन्माष्टमी?

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण का सुंदर श्रृंगार किया जाता है और कई जगह झाकियां निकाली जाती हैं। इस पर्व की खास रौनक भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा-वृंदावन में देखने को मिलती है। कृष्ण जन्माष्टमी का खूबसूरत नजारा देखने के लिए देश भर से लोग यहां आते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप को झूला झूलने की भी परंपरा है। जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत रखा जाता है और रात के 12 बजे कृष्ण की पूजा कर व्रत तोड़ा जाता है।

जन्माष्टमी पूजा सामग्री (Janmashtami Puja Samagri List):

एक साफ़ चौकी, पीले या लाल रंग का साफ़ कपड़ा, खीरा, शहद, दूध, दही, पंचामृत, बाल कृष्ण की मूर्ति, चंदन, अक्षत, गंगाजल, धूप, दीपक, अगरबत्ती, मक्खन, मिश्री, तुलसी के पत्ते और भोग सामग्री।

जन्माष्टमी पूजा विधि (Krishna Janmashtami Puja Vidhi)

  • जन्माष्टमी की सुबह स्नानादि कर सभी देवी-देवताओं को नमस्कार करें और मंदिर में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
  • इसके बाद हाथ में थोड़ा जल और कुछ पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें और विधि-विधान बाल गोपाल की पूजा करें।फिर दोपहर के समय जल में काले तिल मिलाकर एक बार फिर से स्नान करें और देवकी जी के लिए एक प्रसूति गृह का निर्माण करें। इस सूतिका गृह में एक बिछौना बिछाकर उसपर कलश स्थापित कर दें।
  • फिर देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी का नाम लेते हुए पूजा करें।अब जन्माष्टमी की मुख्य पूजा करने के लिए रात12 बजने से कुछ देर पहले वापस स्नान करें। घर के मंदिर में या किसी साफ स्थान पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसपर भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
  • कृष्ण जी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाकर उनका सुंदर श्रृंगार करें।
  • बाल गोपाल को धूप, दीप दिखाएं। उन्हें रोली और अक्षत का तिलक लगाएं और माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
  • कृष्ण जी पूजा में गंगाजल और तुलसी के पत्ते अवश्य उपयोग करें। विधिपूर्वक पूजा करने के बाद कृष्ण जन्माष्टमी की कथा जरूर सुनें।
  • अंत में भगवान कृष्ण की आरती कर प्रसाद सभी को वितरीत कर दें।
  • जन्मष्टमी के दिन व्रत रखने वाले लोग रात बारह बजे की पूजा के बाद व्रत खोल सकते हैं।

भगवान कृष्ण को मोरपंख बेहद पसंद है इसलिए जन्माष्टमी की पूजा करते समय कृष्ण जी की प्रतिमा के पास मोरपंख अवश्य रखें। साथ ही लकड़ी की बांसुरी भी रखें।

Janmashtami known as Krishna Janmotsav is celebrated as the birthday of Lord Krishna, the eighth son of Vasudeva-Devaki. Krishna Ji is an incarnation of Lord Vishnu, who is in charge of the department of virtue out of the three honor, Satgun, Rajgun and Tamogun of the three worlds. Being an incarnation of God, siddhis were present in Krishna ji from birth. At the time of the marriage of his parents Vasudev and Devaki ji, when the maternal uncle Kansa was going to take his sister Devaki to her in-laws' house, there was an Akashvani in which it was told that the eighth son of Devaki would kill Kansa. That is, it was already certain to happen, so despite keeping Vasudeva and Devaki in jail, Kansa could not kill Krishna.

Soon after his birth in the prison of Mathura, his father Vasudeva baby takes Krishna across the Yamuna, so that the parents can be named Nanda and Yashoda in Gokul. Janmashtami festival is celebrated by the people by observing fast, singing devotional songs of the love of Krishna, and awakening in the night.

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