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।।कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।।
मैं भोला पर्वत का रै तू राणी महला की तेरी मेरी पार पड़ै ना बेशक लिखी पहला की. तू भोला पर्वत का रे मैं रानी महला की तेरी मेरी जोरी खूब जमे या लिखी पहला की किसे राजा तै ब्याह करवाले मेरी गैल म रै पछतावैगी तेरी काया पड़ज्या काली रै
Bhagwan Shiv Bhajan jisme prabhu ke ant or anant se lekar shiv ji ko Mahesh bhi kahte hai.