kartik snan Mahatav - कार्तिक स्नान

Bhagwan Krishn Ko Kartik maas kafi pasand hai Kartik month is dear to Shri Krishna

kartik snan Mahatav

कार्तिक स्नान

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हिंदू धर्म में कार्तिक माह के महिमा का अद्भुत बखान किया गया है. यह माह भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है. पुराणों में इस दिन स्नान, व्रत और तप करने वाले को मोक्ष को भागी बताया गया है. आज के दिन गंगा में डुबकी लगाना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. कार्तिक मास के सन्दर्भ में स्कन्दपुराण में वर्णित है कि कार्तिक के समान कोई अन्य मास नहीं है. सतयुग के समान कोई युग नहीं है. वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है तथा गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है. यह भी मान्यता है कि इस माह जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. इसी कारण कार्तिक माह को मोक्ष का द्वार भी कहते हैं.

श्रीकृष्ण को प्रिय है कार्तिक मास:

भगवान श्रीकृष्ण ने इस मास की व्याख्या करते हुए कहा है,‘पौधों में तुलसी मुझे प्रिय है, मासों में कार्तिक मुझे प्रिय है, दिवसों में एकादशी और तीर्थों में द्वारका मेरे हृदय के निकट है.’ इसीलिए इस मास में श्री हरि के साथ तुलसी और शालीग्राम के पूजन से भी पुण्य मिलता है तथा पुरुषार्थ चातुष्ट्य की प्राप्ति होती है.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व:

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजे गए थे. ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका नक्षत्र में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है. इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है.

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