Baijnath Jyotirlinga Katha - बैजनाथ ज्योतिर्लिंग

Baijnath Jyotirlinga is related to Rakshash Raj Dashanan Ravan and Rawan want to bring Mahadev at his palace story

Baijnath Jyotirlinga Katha Image

बैजनाथ ज्योतिर्लिंग का पाठ करें

Thu, Feb 22, 2024
416
191
Bhagwan Team author image
Author
Bhagwan Team

|| ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

Techthastu Website Developer

इस लिंग की स्थापना का इतिहास यह है कि एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिये घोर तपस्या की और अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिये। एक-एक करके नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवाँ सिर भी काटने को ही था कि शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हो गये। उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-त्यों कर दिये और उससे वरदान माँगने को कहा। रावण ने लंका में जाकर उस लिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा माँगी। शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर इस चेतावनी के साथ दी कि यदि मार्ग में इसे पृथ्वी पर रख देगा तो वह वहीं अचल हो जाएगा। अन्ततोगत्वा वही हुआ। रावण शिवलिंग लेकर चला पर मार्ग में एक चिताभूमि आने पर उसे लघुशंका निवृत्ति की आवश्यकता हुई। रावण उस लिंग को एक अहीर जिनका नाम बैजनाथ था(जो की भगवान विष्णु थे), को थमा लघुशंका-निवृत्ति करने चला गया। इधर भगवान विष्णु ने ज्योतिर्लिंग को भूमि पर रख दिया। फिर क्या था, लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर शिवलिंग को उठाने की कोशिश करने लगा जिससे शिवलिंग पर रावण के अंगुठे का हिस्सा दब गया, और कुछ समय बाद वह वापस लंका को चला गया। इधर ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की।

भगवान विष्णु(बैजनाथ) द्वारा स्थापना के कारण इस ज्योतिर्लिंग को बैजनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है ,शिवजी का दर्शन होते ही सभी देवी देवताओं ने शिवलिंग की वहीं उसी स्थान पर प्रतिस्थापना कर दी और शिव-स्तुति करते हुए वापस स्वर्ग को चले गये। जनश्रुति व लोक-मान्यता के अनुसार यह वैद्यनाथ-ज्योतिर्लिग मनोवांछित फल देने वाला है।

Open In Mobile App
Also Known As
Related Story